2019 में मोदी सरकार ने पीएम कुसुम योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का लक्ष्य किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण देना है। इस योजना के तहत सौर ऊर्जा से पैसे कमाने के इच्छुक किसानों को 3 तरह की मदद दी जाती है। इस योजना की प्रगति रिपोर्ट कहती है कि अब तक जितने किसानों के पास सोलर पंप होने चाहिए थे, उनमें से पिछले 5 सालों में सिर्फ़ 30% किसानों के पास ही सोलर पंप हो पाए हैं।
यह प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाभियान या “पीएम कुसुम” योजना का हिस्सा है। किसानों को सिंचाई के लिए सोलर पंप दिए जाएंगे। इस योजना की अंतिम तिथि 2026 तय की गई है।
इतने कम समय में किसानों को सोलर पंप देने का लक्ष्य अब तक सिर्फ़ 30% ही पूरा हो पाया है। जलवायु पर अध्ययन करने वाले सेंटर फॉर साइंस एंड क्लाइमेट (CSE) नामक शोध समूह ने पीएम कुसुम योजना के अब तक के नतीजों पर एक अध्ययन रिपोर्ट पेश की है। CSE के अध्ययन में पीएम कुसुम योजना को पर्यावरण और खेती के लिए बेहतर बताया गया है। साथ ही इसे अमल में लाने में आने वाली समस्याओं को भी सामने लाया गया है।
कहानी कहती है कि इस योजना की वजह से अब तक देशभर में किसानों को 12 लाख से ज़्यादा सोलर पंप दिए जा चुके हैं। हालांकि, इनमें से सिर्फ़ 4 लाख सोलर पंप ही किसानों के खेतों में लगाए जा सके हैं।
किसान बना रहे 1944 मेगावाट बिजली
सीएसई की रिपोर्ट में दिए गए तथ्य सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों से भी पुष्ट होते हैं। संसद की मौजूदा मानसून बैठक के दौरान पीएम-कुसुम योजना को लेकर सवाल उठाए गए। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने लोकसभा में सवालों के जवाब दिए और महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 30 जुलाई 2018 तक पीएम कुसुम योजना के तहत देशभर में किसानों के खेतों में 3,97,437 सोलर पंप लगाए जा चुके हैं। इससे लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 4,11,222 हो गई है।
नाइक ने बताया कि किसानों को दिए गए 3,97,437 सोलर पंप से कुल 1944 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। सीएसई ने एक और काम किया और वह यह कि उसने किसानों से डेटा और जानकारी जुटाई कि पीएम कुसुम योजना का जमीनी स्तर पर किस तरह से इस्तेमाल हो रहा है। रिपोर्ट का शीर्षक है पीएम कुसुम योजना को लागू करने में आने वाली समस्याएं। इसमें राज्यों को इस बात के लिए समग्र ग्रेड भी दिया गया है कि उन्होंने इस योजना को लागू करने में कितना अच्छा काम किया है।
सीएसई में औद्योगिक प्रदूषण और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम के निदेशक निवित कुमार यादव की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम कुसुम योजना के तहत अब तक राज्य सरकारों द्वारा 12 लाख 94 हजार 787 सोलर पंप लगाने की मंजूरी दी गई है। इनमें से केवल 4 लाख 2 हजार 792 सोलर पंप ही किसानों के खेतों में लगाए जा सके हैं। कुल लक्ष्य का केवल 30% ही हासिल किया जा सका है।
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सोलर पंप लगाने में हरियाणा के किसान अव्वल
अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं के कारण खेती में सौर ऊर्जा का उपयोग करने की आवश्यकता है। इस कारण से लंबे समय तक चलने वाली तकनीक खरीदना और भी महत्वपूर्ण है। पीएम-कुसुम जैसी योजनाएं इस मामले में भारत की जलवायु कार्य योजना को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। यादव ने कहा कि इस अध्ययन ने इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया है कि पीएम कुसुम योजना को अमल में लाने में राज्य सरकारें कितनी शामिल हैं।
कहानी कहती है कि इस योजना के तहत, प्रत्येक राज्य की सरकार यह तय करती है कि किसानों को हर साल कितने सोलर पंप मुफ्त में दिए जाएंगे। 2019 से, खेतों पर स्वीकृत सोलर पंप लगाने के मामले में हरियाणा बाकी राज्यों से आगे रहा है। कहानी कहती है कि अब तक हरियाणा सरकार ने 2 लाख 52 हजार 655 सोलर पंपों को मंजूरी दी है।
अब तक इनमें से 1,19,792 पंप खेतों में लगाए जा चुके हैं। वहीं, महाराष्ट्र सरकार सोलर पंप को मंजूरी देने वाली पहली सरकारों में से एक है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से अब तक चार लाख पांच हजार किसानों को सोलर पंप दिए जा चुके हैं। इनमें से एक लाख एक हजार अठारह पंप खेतों पर लगा दिए गए हैं।
सोलर पंप स्वीकृत करने के मामले में राजस्थान दूसरे नंबर पर है। राजस्थान सरकार ने खेतों पर 2 लाख 48 हजार 720 सोलर पंप लगाने की अनुमति दी है, लेकिन अभी तक सिर्फ 75 हजार 56 पंप ही लगाए जा सके हैं। खेतों पर सोलर पंप लगाने के मामले में यूपी का रिपोर्ट कार्ड अन्य राज्यों से बेहतर है।
सिर्फ दो राज्यों हरियाणा और यूपी में स्वीकृत सोलर पंपों में से आधे से ज्यादा किसानों ने खेतों पर लगा दिए हैं। यूपी सरकार की ओर से 1 लाख 14 हजार 790 सोलर पंप लगाने की मंजूरी मिलने के बाद अब तक 54 हजार 943 पंप खेतों पर पहुंचाए जा चुके हैं।
बिहार फिसड्डी साबित हुआ
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों में राज्य सरकारों ने पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंपों की बिल्कुल भी परवाह नहीं की है। जैसी कि उम्मीद थी, बिहार से भयानक आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले छह सालों में बिहार सरकार ने किसी भी किसान को सोलर पंप देने पर सहमति नहीं जताई है। इस वजह से पीएम कुसुम योजना के तहत बिहार के किसी भी किसान को सोलर पंप नहीं मिल पाया है।
दूसरी ओर, इस योजना के तहत बिहार में 1.60 लाख प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें 14 एकड़ से अधिक खाली जमीन पर सोलर पार्क बनाने और बिजली या डीजल पंपों की जगह सोलर पंप लगाने की बात कही गई है। इससे भी अजीब बात यह है कि इनमें से एक भी प्रोजेक्ट पर काम नहीं हुआ है। गौरतलब है कि पीएम कुसुम योजना में किसानों को तीन तरह की सोलर ऊर्जा देने का तरीका शामिल है।
पहला तरीका है खाली जमीन पर सोलर पार्क बनाना। दूसरे समूह में किसानों को सब्सिडी दर पर सिंचाई के लिए सोलर पंप दिए जाते हैं और तीसरे समूह में सोलर पार्क और सोलर पंप दोनों दिए जा सकते हैं। बिहार में केवल तृतीय समूह के लिए अनुदान दिया गया है, लेकिन अनुदान के भुगतान के रूप में एक भी सौर इकाई नहीं दी गई है।
पीएम कुसुम से किसान उठा सकते हैं ये लाभ
पीएम कुसुम योजना को राष्ट्रीय सरकार ने तीन समूहों में विभाजित किया है। पहले समूह में, किसान कम से कम 14 एकड़ खाली जमीन पर 2.5 मेगावाट बिजली उत्पादन वाला मिनी सोलर ग्रिड लगा सकता है। इस श्रेणी में इकाई को रखने के लिए परियोजना पर लगभग 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए। किसान सरकार को 3.14 रुपये प्रति यूनिट की दर से औसतन 16,900 यूनिट ऊर्जा बेचकर प्रतिदिन 53,00 रुपये या महीने में 15,91,980 रुपये कमा सकता है।
दूसरे समूह में, किसानों को 70-80% छूट पर सिंचाई के लिए डीजल या बिजली के पंप के बजाय सोलर पंप दिए जाते हैं। सरकार का कहना है कि अगर किसान सोलर पंप का इस्तेमाल करते हैं तो वे सिंचाई के लिए डीजल या ऊर्जा पर सालाना 64,890 रुपये बचा सकते हैं। सभी 50 राज्य सरकारें इस योजना के तहत दूसरे समूह के किसानों को सोलर पैनल लगाने के लिए सबसे ज़्यादा पैसे दे रही हैं।
तीसरा समूह उन किसानों का है जिनके पास कम से कम 14 एकड़ खाली जमीन है। इस समूह के किसानों को सब्सिडी दर पर सिंचाई के लिए सोलर पंप दिए जाते हैं और उन्हें खाली जमीन पर 2.5 मेगावाट का सोलर पार्क बनाने में भी मदद की जाती है। बिहार में तीसरे समूह के तहत 1.60 लाख परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। यह अलग बात है कि इनमें से किसी भी विचार को अभी तक अमल में नहीं लाया जा सका है।